लखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावती ने मीडिया को संबोधित करते हुए एलान किया कि बसपा विधानसभा उपचुनाव अकेले लड़ेगी। हालांकि, उन्होंने गठबंधन जारी रखने के लिए शर्तें जोड़ दी हैं। मायावती ने कहा कि लोकसभा चुनाव में सपा का वोट बसपा में ट्रांसफर नहीं हुआ। यही कारण है कि यादव परिवार के डिंपल, धर्मेंद्र व अक्षय भी चुनाव हार गए। उन्होंने कहा कि बसपा एक मिशनरी, अनुशासित व कैडर आधारित पार्टी है जबकि सपा में अभी काफी सुधार की जरूरत है। मायावती ने कहा कि अखिलेश अपने कार्यकर्ताओं को मिशनरी बनाएं।उन्होंने उपचुनाव में अकेले लड़ने का एलान करते हुए कहा कि गठबंधन हमेशा के लिए समाप्त नहीं हो रहा है। अगर हमें लगेगा कि सपा इस स्थिति में है कि गठबंधन से लाभ हो सकता है तो हम जरूर साथ आएंगे नहीं तो अलग-अलग रहना ही ज्यादा बेहतर होगा। मायावती ने कहा कि अखिलेश यादव व डिंपल यादव ने मुझे बहुत सम्मान दिया और मैंने भी देश व समाज हित में पुराने मतभेद भूलकर उनका आदर किया। हमारे रिश्ते राजनीतिक नहीं हैं और हमेशा बने रहेंगे। चुनाव प्रचार के दौरान नतीजे आने के बाद सपा-बसपा गठबंधन टूटने का दावा करने वाले उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि आखिर बुआ ने बबुआ को धोखा दे ही दिया। मौर्य ने ट्वीट किया, अब हाथी नहीं करेगा साइकिल की सवारी, मायावती अकेले ही लड़ेंगी सभी उपचुनाव। आखिर बुआ ने बबुआ को धोखा दे ही दिया। हाथी और साइकिल का कोई मेल ही नहीं था। ये तो सिर्फ मोदीजी का विरोध ही था। प्रदेश में अपना अस्तित्व बचाने के लिए बुआ-बबुआ साथ-साथ आए थे, लेकिन जनता तो सारा सच पहले से ही जानती थी और उसने सोच-समझकर वोट दिया।मायावती ने मीडिया ने कहा कि इस बार लोकसभा चुनाव में हमने काफी सोच-विचार के बाद समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया। हालांकि, बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि हम राजनीतिक मजबूरियों को नजरअंदाज नहीं कर सकते। मायावती ने कहा कि जनहित के लिए गिले-शिकवे सब मिटाया, लेकिन परिणाम जन आकांक्षाओं के अनुरूप नहीं हुआ। राजनीतिक विवशताओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते है। जब सपा को ही यादवों का वोट नहीं मिला तो बसपा को उनका वोट कैसे मिला होगा। यूपी में लोकसभा चुनाव के नतीजों में समाजवादी पार्टी का आधार वोट बैंक (यादव) ही हमको अपेक्षित रूप में नहीं मिला। यहां तक कि सपा के मजबूत दावेदार भी हार गए। लोकसभा चुनाव में यादव सपा के उम्मीदवारों के साथ भी खड़े नहीं रहे पता नहीं किस बात से नाराज होकर भितरघात किया। मायावती ने अखिलेश को नसीहत देते हुए कहा कि अगर उनके कुछ नेताओं में सुधार नहीं होता है, समाजवादी पार्टी की स्थिति ठीक नहीं होती है तो उनके साथ ऐसे में चलना बड़ा मुश्किल होगा। मायावती ने साफ कहा कि समाजावादी पार्टी के बड़े नेताओं की हार से साफ है कि समाजवादी पार्टी का वोट एकजुट नहीं हुआ। मायावती ने कहा कि बदायूं, कन्नौज और फिरोजाबाद सीट पर सपा प्रत्याशियों का हार जाना हमें बहुत कुछ सोचने को मजबूर करता है। सपा बसपा का बेस वोट जुड़ने पर हमें नहीं हारना चाहिए था। मायावती ने कहा कि ऐसी स्थिति में यह आकलन किया जा सकता है कि जब सपा का बेस वोट खुद सपा को नहीं मिला, तो बीएसपी को कैसे मिला होगा। मायावती ने अखिलेश यादव को कहा कि यदि वह राजनीतिक कार्यों के साथ-साथ अपने कार्यकर्ताओं को बीएसपी की तरह मिशनरी मोड पर लाते हुए एकजुट करते हैं तो हम आगे उनके साथ हो सकते हैं।
मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में जब से सपा-बसपा का गठबंधन हुआ, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव ने मुझे बहुत सम्मान दिया है। मैंने भी राष्ट्र के हित में सभी मतभेदों को भी भुलाकर उन्हें सम्मान दिया। उन्होंने कहा कि हमारा संबंध केवल राजनीति के लिए नहीं है, यह हमेशा के लिए जारी रहेगा। बसपा प्रमुख मायावती ने सपा- बसपा गठबंधन पर कहा कि हमारे रिश्ते खत्म होने वाले नहीं है।अखिलेश और उनकी पत्नी मेरा आदर करते हैं। उपचुनाव में बीएसपी अकेले ही चुनाव लड़ेगी। साथ ही, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह स्थाई फैसला नहीं है।
मायावती ने कहा कि विधानसभा उप चुनाव सपा व बसपा के बीच स्थाई विराम नहीं है। यदि हम भविष्य में महसूस करते हैं कि समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव अपने राजनीतिक कार्य में सफल होते हैं, तो हम फिर से एक साथ काम करेंगे। अगर वह सफल नहीं होते हैं, तो हमारे लिए अलग से काम करना अच्छा रहेगा। इसी कारण अब हमने अकेले उपचुनाव लड़ने का फैसला किया है। उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से बहुजन समाज पार्टी 38, सपा 37 और आरएलडी तीन सीटों पर चुनाव लड़ी थीं। वहीं बसपा को दस और सपा को सिर्फ पांच सीटों पर जीत मिली। रालोद का खाता भी नहीं खुला था।